etāṃ dṛṣṭimavaṣṭabhya naṣṭātmāno.alpabuddhayaḥ .
prabhavantyugrakarmāṇaḥ kṣayāya jagato.ahitāḥ ||16-9||
।।16.9।। इस दृष्टि का अवलम्बन करके नष्टस्वभाव के अल्प बुद्धि वाले, घोर कर्म करने वाले लोग जगत् के शत्रु (अहित चाहने वाले) के रूप में उसका नाश करने के लिए उत्पन्न होते हैं।।
(Bhagavad Gita, Chapter 16, Shloka 9) || @BhagavadGitaApi⏪ BG-16.8 ।। BG-16.10 ⏩