avyaktādīni bhūtāni vyaktamadhyāni bhārata .
avyaktanidhanānyeva tatra kā paridevanā ||2-28||
।।2.28।। हे भारत ! समस्त प्राणी जन्म से पूर्व और मृत्यु के बाद अव्यक्त अवस्था में रहते हैं और बीच में व्यक्त होते हैं। फिर उसमें चिन्ता या शोक की क्या बात है ?
(Bhagavad Gita, Chapter 2, Shloka 28) || @BhagavadGitaApi⏪ BG-2.27 ।। BG-2.29 ⏩